अनुभूति और अभिव्यक्ति
कल्पनाओं के पाँखी उड़ गए संभावनाओं के पंख पसार बंजर मन की परती में अंकुरने से भावनाओं ने किया इन्कार ! यथार्थ की दुपहरी, बिखेर गयी धूप कर्कश जेठ सी…
कल्पनाओं के पाँखी उड़ गए संभावनाओं के पंख पसार बंजर मन की परती में अंकुरने से भावनाओं ने किया इन्कार ! यथार्थ की दुपहरी, बिखेर गयी धूप कर्कश जेठ सी…