तलाश: Nazm
परत दर परत उधेड़ा खुद को, पंखुड़ियों की तरह तमाम हो गई ! काग़ज़ पे लिखे हर्फ़ों में ढूँढा ख़ुद को कहानी मेरी यूं ही सरेआम हो गई…
परत दर परत उधेड़ा खुद को, पंखुड़ियों की तरह तमाम हो गई ! काग़ज़ पे लिखे हर्फ़ों में ढूँढा ख़ुद को कहानी मेरी यूं ही सरेआम हो गई…