ऐ ज़िन्दगी!
ऐ अजनबी ! आँख में आँख डाल टकटकी बांधे जो देखा तुझे ऐ ज़िन्दगी, अजनबी सी क्यों लगे तू मुझे? मुट्ठी में बंद रेत सी जो फिसलकर गुज़र गयी, बांधनी…
ऐ अजनबी ! आँख में आँख डाल टकटकी बांधे जो देखा तुझे ऐ ज़िन्दगी, अजनबी सी क्यों लगे तू मुझे? मुट्ठी में बंद रेत सी जो फिसलकर गुज़र गयी, बांधनी…