अलविदा वीरांगना ! नाम : Bambi Mishraजन्म : 10 मार्च, 2011महाप्रयाण: 26 अक्टूबर, 2021उम्र : अनंत काल दस साल पहले जब वो हमारे घर आई, काली रुई की गोले जैसी, जैसे घुमड़ते बादलों का एक […]
अमूल्य
She’s either called a deity or compared to priceless substances, but, a woman is always considered as an ‘object of desire’ and is expected to sacrifice herself for her family and society. She has to pay the price to be called ‘priceless’. My Hindi poem portrays the complexities and paradoxes of a woman’s life. आँखों […]
द्वय (Dualism)
Bible says, this mankind is a result of the mistakes made by Eve in the Garden of Eden. When Eve tasted the forbidden apple, she got tempted and provoked Adam to commit sin, resulting in her punishment of suffering from birth pangs. Bible specifies carnal relationships as prohibited sins and states them the weakness of […]
अनुभूति और अभिव्यक्ति
कल्पनाओं के पाँखी उड़ गए संभावनाओं के पंख पसार बंजर मन की परती में अंकुरने से भावनाओं ने किया इन्कार ! यथार्थ की दुपहरी, बिखेर गयी धूप कर्कश जेठ सी वर्जनाओं में जकड़ी मैं बह न सकी, मुठ्ठी में बंद रेत सी ! कोमल ही तो थीं बस संवेदना मेरी, दोष था क्या ये बड़ा ? […]
तुम और मैं
I don’t worship and I’m called an atheist, but I share a special bond with my God, which makes me see Him more as a friend than a Superpower. My special connection with the Almighty gets stronger despite all criticism of not being a believer. This poem portrays my special connect with Him. तुम !निखिल […]
रात की स्याही
बोझिल शामें, ऊंघती रातें, ख्वाहिशें बरसतीं हैं आहत आँखों की साज़िश से साँसें बहकतीं हैं कतरा-कतरा होकर मेरी आवाज़ बिखरती है, मुझसे ही होकर रात, हर रात गुज़रती है, फ़िर भी मेरी आँखों में नहीं नींद बसती है | कानों को बहरा कर जाता सन्नाटे का शोर, मुझे बुलाता जहां जहां, मैं चल देती […]
सृजन का सच
हर सुबह जब झरता है पत्तों से अँधेरा हवा चुनती है बूँदें ओस की और, गूंजता है हवाओं में राग भैरव धूप की पहली, कुंवारी किरण भेदना चाहती है वातावरण में फैली वासना की गहरी धुंध; चाहती हूँ मैं भी, बिखेर दूँ हर ओर ताज़ी सुगंध | पर, स्याह किरणों से कैसे लिखूँ सुनहरे छंद, […]
फ़ना के बाद: Ghazal
अश्क-ए-सागर में डूबने से ज़रा शोर तो होगा, मेरी इस ख़ुदकुशी पे रोया कोई और तो होगा | रास्ते सुनसान हैं, मेरी मंज़िल भी दूर है, सांस लेने को बियाबां में कहीं ठौर तो होगा | दुश्मनी ही सही, कोई तो रिश्ता हो कम से कम, हर मुख़ालिफ़ ने किया इसपे कभी गौर तो होगा […]
हसरतें: Ghazal
कम-से-कम हम्हीं से उन्हें कुछ गिला तो है शुक्र है कि आज, कोई ग़ुल खिला तो है इस तरफ हवा का रुख़ नहीं तो क्या हुआ एक ही सही, कोई पत्ता हिला तो है हमनवा नहीं तो चलो, हमक़दम सही बेवफ़ा भी संग, दो क़दम चला तो है लाख सितम कर गए, […]
मंज़िलें: Ghazal
वक़्त ने करवट बदली और आईने बदल गए, चेहरे के शिकन के संग सारे पैमाने बदल गए | कुछ इस तरह से रात भर हम लिखते रह गए, कि सुबह हुई और लफ़्ज़ों के मायने बदल गए | मीलों चले हम अपनी हसरतों के संग-संग, हम देखते ही रह गए, वो सामने बदल गए | […]
ख़्वाहिशें: Ghazal
ख़्वाहिशें कहना है बहुत कुछ मगर, आग़ाज़ ना मिला, पंख हैं अब भी, तो क्या, परवाज़ ना मिला | बिखरे हुए सरगम मैं सजाती रही ताउम्र, सुर सजे ही रह गए, पर साज़ ना मिला | सिरहाने रख के सो गई, हज़ार ख़्वाहिशें, ग़म भूलने का बेहतर अंदाज़ ना मिला | लफ़्ज़ों में मौसीक़ी […]