अब भी बाक़ी है : एक ग़ज़ल
उम्मीद अब भी बाकी है … मेरी, वो चाँद- तारों की ख़रीद, अब भी बाक़ी है कि, आँखों में शफ़क़ की एक दीद अब भी बाक़ी है सियाह रातों…
उम्मीद अब भी बाकी है … मेरी, वो चाँद- तारों की ख़रीद, अब भी बाक़ी है कि, आँखों में शफ़क़ की एक दीद अब भी बाक़ी है सियाह रातों…