कविता कहूँ या नज़्म ?
कविता मैंने धीमे से कुछ कहा सरसराती पत्तियों से, मेरे शब्द, अपर्याप्त.. ध्वनि रहित, बस शब्द ही थे कुछ क्षीण.. कुछ मधुर, कुछ उन्नींदे, कुछ क्षणभंगुर पर, नींदें उड़ गयीं…
कविता मैंने धीमे से कुछ कहा सरसराती पत्तियों से, मेरे शब्द, अपर्याप्त.. ध्वनि रहित, बस शब्द ही थे कुछ क्षीण.. कुछ मधुर, कुछ उन्नींदे, कुछ क्षणभंगुर पर, नींदें उड़ गयीं…