Category Archives: Ghazal

The Style Symphony

मेरे अलफ़ाज़ में अब भी वो ख़लिश बाक़ी है कि, उफ़ भी मैं करूँ, तो पिघलता है फ़लक डूबती शाम का अब भी वो पहर बाक़ी है आसमां में…

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Chrysanthemum flower ghazal

परत दर परत उधेड़ा खुद को, पंखुड़ियों की तरह तमाम हो गई ! काग़ज़ पे लिखे हर्फ़ों में ढूँढा ख़ुद को कहानी मेरी यूं ही सरेआम हो गई…

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बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे... प्रश्न लिए अस्तित्व का जो छोड़ आए घर-चौबारे, पहुँचा वो आंदोलन अब मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे ! जिन कन्धों पर हल थे कल अब जबरन बैठी लाठी, हमने कभी ना देखी ऐसी कृषकों की कद-काठी ! संशय में है देश पड़ा, अब पर्दे में है सब कुछ, सच के सौ-सौ चेहरे देखे फिरभी करते खुस-फुस ! अपनी-आपनी ज़िद पे हैं मनमर्जी के हैं किस्से, भूखों के हक़ की रोटी जाती समर्थ के हिस्से ! युद्ध छिड़ा है बेमतलब वर्चस्व चढ़ा है दांव, खाली दामन लेकर कैसे लौटेंगे अब गाँव ? हुआ पुराना 'जन गण मन' नूतन किस्से रच डालो, 'जन' तुम रखो और 'गण' वो 'मन' के हिस्से कर डालो | बंट गये रंग तिरंगे के सब हरा, शुभ्र और केसरी, गति हुई अवरुद्ध चक्र की लड़े कृषक और प्रहरी | कुछ तटस्थ कुछ ढ़ोंगी मिलकर चला रहे हैं देश, सिंहासन पर विराजते, भेड़िये बादलकर वेश | "बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे" कह गये शायर 'फैज़', राजनीति भाये ना हमें फिर भी आता है तैश |

बंज़र ज़मीं पे अब सुकून और नहीं थके थके से पाँव, नया दौर नहीं धूप में क्या छाँव की करूँ ख़्वाहिश हर शय है रेत-रेत, कहीं ठौर नहीं …

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जब कोई नही होता तो बस मैं होती हूँ..

कविता मैंने धीमे से कुछ कहा सरसराती पत्तियों से, मेरे शब्द, अपर्याप्त.. ध्वनि रहित, बस शब्द ही थे कुछ क्षीण.. कुछ मधुर, कुछ उन्नींदे, कुछ क्षणभंगुर पर, नींदें उड़ गयीं…

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The Style Symphony

    हर सितम हम सह गए, पर सिसकियों की भी इजाज़त ना मिली, अश्कों का दरिया मिला, दामन भिगोने की नज़ाकत ना मिली | आज हर चेहरा यहाँ ओढ़े…

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तमाम रात

सुबह के इंतज़ार में, गुज़री तमाम रात आँखों-ही-आँखो में यूँ कटी तमाम रात दर-ओ-दीवार कुछ यूं, रौशन थे कल मेरे शमा की तरह खुद मैं, जली तमाम रात महफ़िल में …

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I have written this Hindi poem after a long gap. When the pain is inevitable, my feelings get intense and expressions commemorate in a way, that’s obviously Hindi poetry. कुछ…

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tss hindi poetry मेरे ख़याल

बोझिल शामें, ऊंघती रातें, ख्वाहिशें बरसतीं हैं आहत आँखों की साज़िश से साँसें बहकतीं हैं कतरा-कतरा होकर मेरी आवाज़ बिखरती है, मुझसे ही होकर रात, हर रात गुज़रती है, फ़िर…

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tss hindi poetry मेरे ख़याल

अश्क-ए-सागर में डूबने से ज़रा शोर तो होगा, मेरी इस ख़ुदकुशी पे रोया कोई और तो होगा | रास्ते सुनसान हैं, मेरी मंज़िल भी दूर है, सांस लेने को बियाबां …

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tss hindi poetry मेरे ख़याल

कम-से-कम हम्हीं से उन्हें कुछ गिला तो है शुक्र है कि आज, कोई ग़ुल खिला तो है इस तरफ हवा का रुख़ नहीं तो क्या हुआ एक ही सही, …

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tss hindi poetry मेरे ख़याल

वक़्त ने करवट बदली और आईने बदल गए, चेहरे के शिकन के संग सारे पैमाने बदल गए | कुछ इस तरह से रात भर हम लिखते रह गए, कि सुबह…

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ख़्वाहिशें ज़िन्दगी

  ख़्वाहिशें कहना  है  बहुत  कुछ मगर, आग़ाज़ ना मिला, पंख  हैं  अब  भी,  तो  क्या,  परवाज़  ना मिला | बिखरे  हुए  सरगम  मैं  सजाती  रही ताउम्र, सुर  सजे  ही …

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दिल कहता है

दिल कहता है सितारों को मुट्ठी में भर लूँ, दिल कहता है कि चाँद को सिरहाने रख लूँ | दिल कहता है बर्फीली वादियों में ग़ुम जाऊँ, एहसासों की गर्मी…

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