कैसे गाऊँ गीत सुरीले..?
सब कहते हैं मन बहला लो
कविता रच डालो, कुछ गा लो,
पर, सुर फीके, शब्द हैं गीले
कैसे गाऊँ गीत सुरीले…?
*
जब असंख्य नैनों से बहकर
नदियां सागर में मिल जातीं,
और हवा बन अग्निशलाका
जल उठती, विध्वंस मचाती,
सुरसा* मुँह खोले बैठी है,
आँख झपकते सब कुछ लीले
कैसे गाऊँ गीत#सुरीले…?
*
कल तक जो उज्जवल दीपक थी
बुझ गयी बाती, उठ रहा धुंआ,
मनु — संतति जा रही गर्त में
है अगाध यह अन्धा — कुआँ,
अदृश्य, पर विष वीभत्स है
सर्प नहीं पर दंश हैं नीले,
कैसे#गाऊँ गीत सुरीले…?
*
यम का अट्टहास सुन-सुन कर
धरती का अंतस छलनी है,
आठों पहर ना ठंढी होती
मणिकर्णिका* की अग्नि है,
आवाहन कर महाकाल का
कह दो आकर फिर विष पी लें
कैसे &गाऊँ गीत सुरीले…?
*
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Glossary:
*सुरसा: रामायण काल की विकराल मुंह वाली राक्षसी जिसने हनुमान को निगल लिया था !
*मणिकर्णिका: बनारस का मणिकर्णिका घाट जहाँ शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है |
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