कोयल
अमराई में एक कोयल जो कूकी अभी-अभी
जीवन जीने का मन हुआ दुबारा .फिर से,
अपनी सी लगती है जबसे मिली है मुझसे
मन में उठा विचार अभी ये प्यारा फिर से |
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आँखों में रचती हूँ जिसको बड़े जतन से
तन उसका बिलकुल वैसा ही कजरारा सा,
सुनकर उसके गीत.गुनगुना उठता है मन
सुर ना सजते, रह जाता फिर बेचारा सा |
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आवाहन करती वसंत का भर उपवन .में
महुआ में भरती रस अपने अंजन का वो,
विघ्न डालती सूर्यमुखी की निद्रा में, फिर
स्वर साधे, साधन जग के मनोरंजन का वो |
*
प्रेरणा स्त्रोत वो चाहे कितने कवियों की हो
कोयल तो काली है पूरी बाहर और भीतर,
छल करती, प्रपंच रचाती, अनाधिकार वो
बच्चे पाला करते उसके कौवे और तीतर |
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दम्भ कला का भरकर जो जग को ठगते हैं
उनको भी ऋण उसका लौटाना पड़ता है,
चाहे कितनी कुहुक उठे, कोयल स्वर साधे
पर वसंत के संग उसे जाना पड़ता है |
*
कर्कश लगती हो ऐ कोयल, कब जाओगी?
कर्णकटु .तेरे कटाक्ष, कब. तक गाओगी ?
कालसर्प .के .दंश .सरीखी .कला .तुम्हारी
मिथ्या रूप बदलकर कब तक भरमाओगी?
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?
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प्रख्यात कवि, पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने अपनी प्रसिद्ध कविता “कैदी और कोकिला” में पूछा था…
“क्या गाती हो ?
क्यों रह जाती हो कोकिल ?
क्या हुई बावली ?
अर्द्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दिखीं ?”
कोयल के मधुर गीत भी उस कैदी को कर्कश लगते हैं. कारावासी स्वतंत्रता सेनानियों की पीड़ा दर्शायी थी कवि ने !
मेरी कविता की कोयल बदलते समय की संवेदनहीनता का प्रतीक है | ये प्रतिबिम्ब है उन तथाकथित कलाकारों की जो कला का उपयोग अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए करते हैं | कुछ तो ऐसे भी हैं जिन्हे दूसरों की कृतियों को अपना कहने में रत्ती भर भी झिझक नहीं होती | बिलकुल वैसे ही जैसे कोयल धोखे से दूसरे पक्षियों के घोंसलों के अंडे अपने अण्डों से बदल देती है | बच्चे भले ही पल जाते हैं पर कोयल की मीठे गीत प्रकृति नकार देती है | कौवे तो हर मौसम में रहेंगे परन्तु कोयल की कूक का मौसम अब खत्म | संगीत और काव्य चिरस्थाई हैं…अल्पकालिक नहीं |
मेरी ये कविता ऐसे ही कलाकारों/कवियों पर एक व्यंग्य है जिन्होंने कई बार बड़ी ही धृष्टता से मेरी कविताओं को अपना कहा | यहाँ तक कि एक महाशय ने तो इस “कोयल” को भी अपना कह डाला (मेरा मतलब Plagiarism से है ) |
पर, इस धरती की धुरी है सच्ची कला और ये परिक्रमा करती है सच्ची कला की परिधी पर | ऐसे ही एक सच्चे कलाकार, श्री सुर्रेंद्र मोहन धीर जी ने बनाया है कोयल का ये रेखाचित्र जो इस blogpost का featured image है | उनका धन्यवाद इस कलाकृति के लिए |
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