Tag Archives: Sangeeta ki ghazal

सारंग : एक नयी काव्य विधा, संगीता मिश्र ! Sarang by Sangeeta Mishra

           सारंग: एक नयी काव्य विधा कवयित्री  कहकर पुकार लो  या  कह लो  मुझको  शायरासीमा *से  परे *हैं   स्वप्न  मेरे  ख़्वाबों  का ना  कोई  दायरा  हैं शब्द…

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अब भी बाकी है ...

उम्मीद अब भी बाकी है … मेरी, वो चाँद- तारों की ख़रीद, अब भी बाक़ी है कि, आँखों में शफ़क़ की एक दीद अब भी बाक़ी है सियाह रातों…

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उस सघन काली सड़क पर...

उस काली सड़क पर… मैं कहानियाँ सुनाने में अच्छी नहीं | बड़ी ही बोझिल हो जाती है कहानी मेरी कलम से निकालकर .. पर ये कहानी मेरे मन के बहुत…

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Ganga

*** मौसमों के साथ लोगों को बदलना आ गया आँधियों के बीच हमको भी संभलना आ गया *** ‘गर उफनती है नदी तो बादलों का क्या कसूर देख धरती की…

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