कवयित्री या शायरा: सारंग, एक नयी काव्य विधा
सारंग: एक नयी काव्य विधा कवयित्री कहकर पुकार लो या कह लो मुझको शायरासीमा *से परे *हैं स्वप्न मेरे ख़्वाबों का ना कोई दायरा हैं शब्द…
अब भी बाक़ी है : एक ग़ज़ल
उम्मीद अब भी बाकी है … मेरी, वो चाँद- तारों की ख़रीद, अब भी बाक़ी है कि, आँखों में शफ़क़ की एक दीद अब भी बाक़ी है सियाह रातों…
काली सड़क पर…
उस काली सड़क पर… मैं कहानियाँ सुनाने में अच्छी नहीं | बड़ी ही बोझिल हो जाती है कहानी मेरी कलम से निकालकर .. पर ये कहानी मेरे मन के बहुत…
रंग बदलना आ गया : एक ग़ज़ल
*** मौसमों के साथ लोगों को बदलना आ गया आँधियों के बीच हमको भी संभलना आ गया *** ‘गर उफनती है नदी तो बादलों का क्या कसूर देख धरती की…