कुछ आब : एक ग़ज़ल
कुछ आब : एक ग़ज़लकुछ आब कुछ आब सजाकर आँखों में, महताब से बातें करते हैंसब बातें करते हैं लब से, हम ख़्वाब से बातें करते हैं वो तल्ख़ …
रंग बदलना आ गया : एक ग़ज़ल
*** मौसमों के साथ लोगों को बदलना आ गया आँधियों के बीच हमको भी संभलना आ गया *** ‘गर उफनती है नदी तो बादलों का क्या कसूर देख धरती की…