Tag Archives: Basant ki Kavita

दो क़दम Manikarnika

दो क़दम चली मैं..बस दो क़दम ही तो..और जी लिया एक समूचा जीवन बस दो डग भरकरजैसे वामन ने नाप ली थी समूची सृष्टि बस तीन पग में महाबलि का…

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आज भी हिंदी Hindi poetry

समय की भीत पर अंकित सुनहरी रीत थी हिंदीरहीम और तुलसी ने गाया, मधुर वो गीत थी हिंदीकई नदियों के संगम से महानद जो हुई उद्भुतवो तत्सम, तद्भव की देशज-विदेशज…

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बसंत

बसंत बहार बसंत बहार गेंदा, गुलाब, जूही, बगिया में मेरे महके, पाहुन बसंत आया उपवन में भूले-भटके | पतझड के अंगना में बहार रंग भरती, हर हरित दूर्बा संग लावण्या…

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