बसंत बहार बसंत बहार
गेंदा, गुलाब, जूही,
बगिया में मेरे महके,
पाहुन बसंत आया
उपवन में भूले-भटके |
पतझड के अंगना में
बहार रंग भरती,
हर हरित दूर्बा संग
लावण्या हुई धरती |
कुंजों में कूकती है
कोयल निरी मतवारी,
‘हिन्डोल राग’ गूँजे
हर शाख, हर कियारी |
कलियों को चूम, धीमे
भँवरा करे गुंजार,
मद सी महक रही है
पछुआ-मधुर-बयार |
फागुन के रंग रंगी हैं
बचपन की सखियां सारी,
मिलने को मैं भी आतुर
पर फीकी मेरी साड़ी |
रंगरेज श्याम मधुकर
ने स्याह रंग डारे,
थोडे भरूं कलम में
रच नैन कजरारे |
शुभ्रा थी, अब मैं श्यामा
ओढूं मैं नीला अम्बर,
तुम बिन ना रास आये
अब रेशमी पीतांबर |
मधुमास का आतिथ्य
हमको यही सिखाता,
सुख-दुख हैं दो घड़ी के
जीवन है चार दिन का |
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वसंत का क्या है ?… कहीं भी, कभी भी आ जाता है … कभी पतझड़ के बाद शाखों पर बैठा, तो कभी फुदकती गौरैया के पंखों पर सवार … कभी बूढ़ें बरगद पर पसरती नवेली पुष्पलता में तो कभी स्कूल जाती बच्चियों की चंचलता में… वसंत तो वसंत ही है I कभी भी आ जाता है।
सिर्फ मुस्कान में ही नहीं, आंसुओं में भी बसता है वसंत | अतीत की मधुर स्मृतियों के शक्कर वाले आंसू |. आंसुओं के नमक पर मिठास बनकर हावी हो जाता है वसंत | सरसो के पीले खेत… पीताम्बर किमख़ाब साड़ी… ये तो वसंत के पारम्परिक रंग हैं | पर, वसंत तो नीले खुले आकाश, काले रेशमी बाल और अभिसारिका के ताम्बई-सुर्ख होते मुख की आभा में भी है..|
आजकल तो वसंत कुछ अधिक ही मुखर हो उठा है | हमारे प्रधान मंत्री को देखा ? अब तो मेरी लड़कियाँ भी पूछती हैं…”मोदीजी की ग्लोइंग स्किन का राज़ क्या है ? फ़िल्टर, फेशियल या नया प्यार ?”. गूगल कर उनकी नयी पिक्चर्स तो देखिये.. आप भी पूछ बैठेंगे, “आखिर इस चमकती त्वचा का रहस्य क्या है?” वसंत दिग्दिगंत !
मेरी ऋतुरंग कविता में वसंत के सभी राग-रंग हैं.. नवरंग | चौमासा श्रृंखला की अंतिम कविता है | बाकी की तीनो कवितायें,
‘ग्रीष्म गर्जना’… ‘सावन और संगीत’… ‘शीत के गीत’
.. लिंक क्लिक कर पढ़ें | आपको अच्छी लगी तो बताएं ..
“चौमासा” या “ऋतुरंग”, हिन्दी साहित्य एवं संगीत की एक मान्य एवं लोकप्रिय काव्य/गीत
शैली है | इस विधा में कवि चारो ऋतुओं (वसंत, ग्रीष्म, वर्षा एवं शीत) के सौंदर्य का वर्णन
करते हुए उन्हें मानवीय संवेदनाओं से जोड़ते हैं |
मैंने भी अपने पाठकों के लिए ऋतुरंग लिखने का प्रयास किया है जिसमें मैंने नवरसों का भी समावेश किया है | आपको मेरी चारों कविताओं में काव्य के सभी नौ रस या अनुभूतियां जैसे…शृंगार, करुण, हास्य, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत और शांत….स्पष्ट अनुभव होंगी | तो प्रस्तुत है ऋतुरंग श्रिंखला, काव्य के नौ रस तथा चार ऋतुओं की कवितायें |
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