Tag Archives: Koyal ki kavita

दो क़दम Manikarnika

दो क़दम चली मैं..बस दो क़दम ही तो..और जी लिया एक समूचा जीवन बस दो डग भरकरजैसे वामन ने नाप ली थी समूची सृष्टि बस तीन पग में महाबलि का…

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आज भी हिंदी Hindi poetry

समय की भीत पर अंकित सुनहरी रीत थी हिंदीरहीम और तुलसी ने गाया, मधुर वो गीत थी हिंदीकई नदियों के संगम से महानद जो हुई उद्भुतवो तत्सम, तद्भव की देशज-विदेशज…

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कोयल

कोयल अमराई में एक कोयल जो कूकी अभी-अभी जीवन जीने का मन हुआ दुबारा .फिर से, अपनी सी लगती है जबसे मिली है मुझसे मन में उठा विचार अभी ये…

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