Tag Archives: Kavita

दो क़दम Manikarnika

दो क़दम चली मैं..बस दो क़दम ही तो..और जी लिया एक समूचा जीवन बस दो डग भरकरजैसे वामन ने नाप ली थी समूची सृष्टि बस तीन पग में महाबलि का…

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आज भी हिंदी Hindi poetry

समय की भीत पर अंकित सुनहरी रीत थी हिंदीरहीम और तुलसी ने गाया, मधुर वो गीत थी हिंदीकई नदियों के संगम से महानद जो हुई उद्भुतवो तत्सम, तद्भव की देशज-विदेशज…

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उस सघन काली सड़क पर...

उस काली सड़क पर… मैं कहानियाँ सुनाने में अच्छी नहीं | बड़ी ही बोझिल हो जाती है कहानी मेरी कलम से निकालकर .. पर ये कहानी मेरे मन के बहुत…

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कोयल

कोयल अमराई में एक कोयल जो कूकी अभी-अभी जीवन जीने का मन हुआ दुबारा .फिर से, अपनी सी लगती है जबसे मिली है मुझसे मन में उठा विचार अभी ये…

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जब कोई नही होता तो बस मैं होती हूँ..

जब कोई नही होता तो बस मैं होती हूँ.. स्त्री है वो ! स्वयं में शक्ति ! उसे किसी की आवश्यकता नहीं । आज उसकी अवहेलना कर भी दी तो…

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शीत के गीत

“शीत के गीत”  सूरज भी अलसाया है आजमेरे  संग  उठा  दुपहरी,कोहरे की चादर पर खींचेवो लकीरें चन्द सुनहरी | कानों में सरगम के बदलेपछवईया गाती सन-सन,सर्दी हुई बिल्ली, देख उसेकाँपे…

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