गुलाबी धूप पिछली सर्दियों की…
कुछ ऐसी थी गुलाबी धूप पिछली सर्दियों की… …
सितारों के बीच तुम कहीं तो हो…
मन स्याह अमावस मेरा फीके सभी तारे, उजाले ले गयी हो तुम पीछे हैं अँधेरे | दिए जलाके आँखों के बाती सी मैं जली, याद आ रही न जाने क्यों…
ज़िन्दगी ही तो है : Ghazal
है उम्र क्या ? महज़ ये दिल्लगी ही तो है कुछ और है जीना, कि ज़िन्दगी ही तो है जलाये कुछ दिये, बुझाईं मोमबत्तियांआँखों में फिर भी एक तिश्नगी ही…
वो लड़की महकी महकी सी: Happy Birthday, Sunshine
It’s August, the 1st, and I wish you Happy Birthday with verses as effervescent as you… ??? रुख हवाओं का वो एक पल मोड़ देचाहे तो पानी से पत्थर तोड़…
ग्रीष्म गर्जना : ऋतुरंग कविता
ग्रीष्म गर्जना कोयल कूकी अमराई मेंगा रही मारवा राग,सूरज बन बैठा अग्निकुंडबरसाता है बस आग ! हो रहा गगन में अश्वमेघहै रश्मिरथी इस पार,सातो घोडों पर हो सवारचल पड़ा क्षितिज…
बस एक बार…
बस एक बार तुम कह देते मैं रीत सभी निभा लेती, जीवन के खाली पृष्ठों से अपने परिशिष्ट मिटा जाती, बस एक बार तुम कह देते… गाती नहीं गीत स्मृतियों के…
वो बात अब भी बाक़ी है : Ghazal
मेरे अलफ़ाज़ में अब भी वो ख़लिश बाक़ी है कि, उफ़ भी मैं करूँ, तो पिघलता है फ़लक डूबती शाम का अब भी वो पहर बाक़ी है आसमां में…
शब्द (Words)
Please… Sorry… Thank You… …the sweetest mannerisms ever found in the world of words! Reciprocation of these beautiful words builds strong relations. Words are the most powerful medium of…
अनुभूति और अभिव्यक्ति
कल्पनाओं के पाँखी उड़ गए संभावनाओं के पंख पसार बंजर मन की परती में अंकुरने से भावनाओं ने किया इन्कार ! यथार्थ की दुपहरी, बिखेर गयी धूप कर्कश जेठ सी…
तुम और मैं
I don’t worship and I’m called an atheist, but I share a special bond with my God, which makes me see Him more as a friend than a Superpower. My…
धुरी और परिपथ
पृथ्वी का घूमना अपनी धुरी पर या फिर एक निश्चित परिपथ में परिक्रमा सूर्य की, — विज्ञान के इस सत्य को जीने की नियति है मेरी भी निरंतर…. अपनी अस्मिता…
ममता का आँचल
ममता के आँचल से सींचा है किनारा, मृदु-जल के दर्पण में मिला है सहारा | उन्नति पर अग्रसर वो राह डगमगाती थी, डाँट से जब डरकर हर रूह काँप जाती…
अक्स और आँखें
When she was born, everyone said that she didn’t look like me! But, I made her my replica with time. 🙂 This poem is dedicated to my daughter Maitreni. .…
रात की स्याही
बोझिल शामें, ऊंघती रातें, ख्वाहिशें बरसतीं हैं आहत आँखों की साज़िश से साँसें बहकतीं हैं कतरा-कतरा होकर मेरी आवाज़ बिखरती है, मुझसे ही होकर रात, हर रात गुज़रती है, फ़िर…
मेरे हिस्से का दर्द
पीड़ा झेलती मेरी अनुभूतियाँ और झेलते हैं दर्द मेरे शब्द भी, तब जाकर कहीं रचित होती है मेरी व्यथा की कविता | घुमड़ते मेघों – आषाढ़ बनकर ही…